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काहे होत अधीर (काहे होत अधीर) - ओशो

काहे होत अधीर (काहे होत अधीर) - ओशो

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काहे होत अधीर (काहे होत अधीर)

महाजीवन है अभी और यहीं (महाजीवन है अभी और यहीं)

पुणे में अयोध्या के 18वीं सदी के भक्ति योगी पलटू दास पर व्याख्यान दिया गया।

पलटू पर ओशो की तीन किताबों में से यह तीसरी है। अन्य हैं सपना यह संसार (सपना यह दुनिया) और अजहूं चेत गंवार (अझहूं चेत गंवार)

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